Genre | Lagaan |
Language | Hindi |
आजा रे आजा रे
भले कितने लम्बे हो रस्ते हो
थके ना तेरा ये तन हो
आजा रे आजा रे
सुन ले पुकार डगरिया
रहे ना ये रस्ते तरसते हो
तू आजा रे
इस धरती का है राजा तू
ये बात जान ले तू
कठिनाई से टकरा जा तू
नहीं हार मान ले तू
मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे
ओ मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे
तू आजा रे
सुन लो रे मितवा
जो है तुम्हरे मन में
वो ही हमरे मन में
जो सपना है तुम्हरा
सपना वो ही हमरा है
जीवन में
हाँ, चले हम लिए
आसा के दीये नैनन में
दीये हमरी आसाओं के कभी बुझ ना पाएँ
कभी आंधियाँ जो आ के इनको बुझाये
ओ मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे
ओ मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे
तू आजा रे
ता न ना ना ना
आजा रे..
सुन लो रे मितवा
पुरवा भी गाएगी
मस्ती भी छाएगी
मिल के पुकारो तो
फूलों वाली जो रुत है
आयेगी
हाँ, सुख भरे दिन दुःख के बिन लाएगी
हम तुम सजाये आओ रंगों के मेले
रहते हो बोलो काहे तुम यूँ अकेले
मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे
ओ मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे
तू आजा रे
हर संत कहे
साधू कहे
सच और साहस है जिसके मन में
अंत में जीत उसी की रहे
मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे
ओ मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे
ओ मितवा सुन मितवा
तुझको क्या डर है रे
ये धरती अपनी है
अपना अम्बर है रे..