फिर से वही phirse wohi – hansraj raghuwanshi

फिर से वही phirse wohi – hansraj raghuwanshi lyrics

Poster फिर से वही phirse wohi – hansraj raghuwanshi

फिर से वही phirse wohi – hansraj raghuwanshi

Details
Genre Hindi Lyrics
Language Hindi
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Lyrics



सन्नाटा ही सन्नाटा है
गलियों में है तन्हाई
सन्नाटा ही सन्नाटा है
गलियों में है तन्हाई

शहरों को छोड़ छाड़ के
आज गाँव की याद है आयी
शहरों को छोड़ छाड़ के
आज गाँव की याद है आई

फिरसे वही महका सा आंगन हो
जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
अपने देश को

कुदरत को लूटा
मानुष को लूटा सफेद चोला ओढ़े
माल जमकेगा लंगोटा
मास मची जो मिला सब खा गए
मानव के भेष में बाबा देखो
दानव आ गए

नाम भगवान का पैसा अंदर किया
भ्रष्ट हर एक दर हर एक मंदिर किया
अब सजा पापों की जब है मिलने लगी
दुनिया थर थर डर से है हिलने लगी

होगी ना हमसे भूल सीख मिल गई है बाबा
होगी ना हमसे भूल सीख मिल गई है अब
हम बचे है तेरे भोले अब तो माफ करना
अब तो माफ कर

मैं फसा परदेश में
मेरी अम्मा बिटिया रोये
मैं फसा परदेश में
मेरी अम्मा बिटिया रोये

ऐसा भी क्या गुनाह किया रे
मानुस पिंजरे में रोये
भोले ऐसा भी क्या गुनाह किया रे
मानुस पिंजरे में रोये

थक गए सोये सोये निंदिया होए
थक गए सोये सोये निंदिया होए

फिरसे वही महका सा आंगन हो
जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
अपने देश को

फिर से वही महका सा आंगन हो
फिर से वही महका सा आंगन हो

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