Singer | Mohammed Rafi |
Language | Bollywood |
सुनो रमजान की
दस्ता तो सुनो
रहमतों का बय्या
है बय्या तो सुनो
रहमतों का बय्या
है बय्या तो सुनो
लड़का था एक सहर
में जो हुस्न बेमिसाल
कमसिन था जिसकी उम्र थी
समझो के सात साल
रमजान के जो चाँद
पे उसकी नजर पड़ी
उसके भी दिल में
रोज़े की एक आरज़ू जगी
रोज़ा रखूँगा मई
भी ये माँ बाप से कहा
सहरी करूँगा मै
भी जगा देना तुम जरा
सुनो रमजान की दास्तां तो सुनो
रहमतों का बाया
है बया तो सुनो
रहमतों का बाया
है बया तो सुनो
लड़के की बात सुनली
मगर कुछ नहीं कहा
लड़का सुबह उठा
तो हुआ उनसे वो खफा
समझाया माँ ने
बाप ने ए मेरे गुलसिता
रोज़ा नहीं है फ़र्ज़
अभी तुझपे मेरी जा
नन्हे से दिल को बात
का सदमा बड़ा हुआ
माँ से कहा क़ुरान
में कहता है ये खुदा
रोज़े के भूख प्यास
जो हस्ति उठायेगी
उस रोज़ेदार को न
ये तो जख जलायेगी
कुरान जिसमे ुत्र
सुनो वो महीना है
तौबा कबूल करता
खुदा वो महीना है
सुनो रमजान की दास्तां तो सुनो
रहमतों का बाया
है बया तो सुनो
रहमतों का बाया
है बया तो सुनो
आयी जो सर पे
रत तो वो जगता रहा
सहरी भी करली चुपके से
खुश होक सो गया
उठा सुबह तो माँ
से कहा सारा माजरा
माँ ने बड़े ही
प्यार से उसे ये कहा
रोज़ा न रख सकेगा
ये जिद्द छोड़ मँजा
दे दूंगी अपना रोज़ा
तुझे मेरे दिलरुबा
तोडूंगा मै न रोज़ा
कभी कुछ न खाऊंगा
आखिर खुदा को किस
तरह ये मुंह दिखाऊंगा
माँ के कहे के
भूख लगी होगी लादले
गर्मी है तुझको
प्यास लगी होगी लादले
कहने लगा कि चाहे
जमी पर हो आफताब
पानी का एक कतरा
पीना भी बड़ा अज़ाब
सुनो रमजान की
दस्ता तो सुनो
रहमतों का बाया
है बया तो सुनो
रहमतों का बाया
है बया तो सुनो
अलमुक्त सर जो
गयी आ गयी असर
वो प्यास जान ले
गयी पथरा गयी नजर
माँ ने कहा के
हाय मेरा लाल चल दिया
इफ्तारी जो बनाई थी
वो भी न खा सका
रोज़े का वक़्त हो
गया लेकिन कहा है वो
अब तो खुदा की राह
में आखिर रवा है वो
इतने में एक फ़क़ीर
ने आकर ये दी सदा
मै भी हु रोज़ेदार
के लेलो मेरी दुआ
जो कुछ भी पास हो
मुझे खाना खिलाइए
मातम ये कैसा है
जरा इतना बतलाइये
आँखों से आंसुओ का
जनाज़ा गुजर गया
माँ बाप दोनों बोले
के बच्चे ही मर गया
बोलै फ़क़ीर के मुझको
खुदरा बताओ तुम
लाशा कहा है बेटे
का मुझको दिखाओ तुम
साहिल में लाश देख के
प्याज़ा ने क्या पढ़ा
मुर्दे के दिल पे हाथ
रखा और दी सदा
मासूम रोज़ेदार के
अब रोज़ा खोल तू
कब तक यु चुप
रहेगा जरा मुँह से बोल तू
इतना ही सुणके बचे
ने फिर आँख खोल दी
माँ ममता की मारी
थी उससे लिपट गयी
साहिल नहीं था वो था
फ़रिश्ता खुदा का था
बच्चे को जिन्दा करके
जो रुपेश हो गया
आती है इंसान पे
इम्तिहा की घडी
अल्लाह पे जान दे दे
वो मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी.
Suno ramjan ki
Dasta to suno
Rahmato ka bayya
Hai bayya to suno
Rahmato ka bayya
Hai bayya to suno
Ladka tha ek sahar
Me jo husn bemisal
Kamsin tha jiski umar thi
Samjho ke sat sala
Ramjan ke jo chand
Pe uski najar padi
Uske bhi dil me
Roze ki ek aarzu jagi
Roza rakhunga mai
Bhi ye ma bap se kaha
Sahri karunga mai
Bhi jaga dena tum jara
Suno ramjan ki dasta to suno
Rahmato ka baya
Hai baya to suno
Rahmato ka baya
Hai baya to suno
Ladke ki bat sunli
Magar kuch nahi kaha
Ladka subah utha
To hua unse wo khafa
Samjhaya ma ne
Bap ne aye mere gulshita
Roza nahi hai farz
Abhi tujhpe meri ja
Nanhe se dil ko bat
Ka sadma bada hua
Maa se kaha kuran
Me kahta hai ye khuda
Roze ke bukh pyas
Jo hasti uthayegi
Us rozedar ko na
Ye to jakh jalayegi
Kuran jisme utra
Suno wo mahina hai
Tauba kabul karta
Khuda wo mahina hai
Suno ramjan ki dasta to suno
Rahmato ka baya
Hai baya to suno
Rahmato ka baya
Hai baya to suno
Aayi jo sar pe
Rat to wo jagta raha
Sahri bhi karli chupke se
Khush hoke so gaya
Utha subah to maa
Se kaha sara majra
Maa ne bade hi
Pyar se usse ye kaha
Roza na rakh sakega
Ye jidd chod manja
De dungi apna roza
Tujhe mere dilruba
Todunga mai na roza
Kabhi kuch na khaunga
Akhir khuda ko kis
Tarah ye muh dikhaunga
Maa ke kaha ke
Bukh lagi hogi ladle
Garmi hai tujhko
Pyas lagi hoge ladle
Kahne laga ki chahe
Jami par ho aftab
Pani ka ek katra
Pina bhi bada azab
Suno ramjan ki
Dasta to suno
Rahmato ka baya
Hai baya to suno
Rahmato ka baya
Hai baya to suno
Almukta sar jo
Gayi aa gayi asar
Wo pyas jaan le
Gayi pathra gayi najar
Maa ne kaha ke
Haye mera lal chal diya
Iftari jo banai thi
Wo bhi na kha saka
Roze ka waqt ho
Gaya lekin kaha hai wo
Ab to khuda ki rah
Me aakhir rawa hai wo
Itne me ek fakir
Ne aakar ye di sada
Mai bhi hu rozedar
Ke lelo meri dua
Jo kuch bhi paas ho
Mujhe khana khilayiye
Matam ye kaisa hai
Jara itna batlayiye
Aankho se aasuo ka
Janaza gujar gaya
Maa bap dono bole
Ke bacha hi mar gaya
Bola fakir ke mujhko
Khudara batao tum
Lasha kaha hai bete
Ka mujhko dikhao tum
Sahil me lash dekh ke
Pyaza ne kya padha
Murde ke dil pe hath
Rakha or di sada
Masum rozedar ke
Ab roza khol tu
Kab tak yu chup
Rahega jara muh se bol tu
Itna hi sunke bache
Ne fir aankh khol di
Maa mamta ki mari
Thi usse lipat gayi
Sahil nahi tha wo tha
Farishta khuda ka tha
Bache ko jinda karke
Jo rupesh ho gaya
Aati hai insan pe
Imtiha ki ghadi
Allah pe jan de de
Wo marta nahi kabhi
Marta nahi kabhi
Marta nahi kabhi
Marta nahi kabhi.
Lyrics by:
Hasrat Jaipuri